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. “जमीन पर नहीं उतर पा रही पीएम आवास योजना, कारण प्रशासनिक उदासीनता”

प्रशासनिक अनदेखी से प्रधानमंत्री के आवास योजना जमीन पर धराशायी”

रोजगार सहायक व ब्लाक समन्वयक अधिकारी ने अपात्र को पात्र बना फर्जी जियोटैग से बंदरबांट कर ली पीएम आवास की पूरी राशि, फर्जीवाड़े का पर्दाफाश के बाद आनन- फानन में प्रारंभ कराया निर्माण कार्य

 ग्रामीणों का आरोप- मनरेगा कार्यों में अनियमितता करने वाले रोजगार सहायक ने आवास किश्त राशि जारी कराने के नाम पर लाभार्थियों से ली रकम.

कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा:- कोरबा जिले को यदि घोटालों का जिला कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नही होगी। क्योंकि यहां जिस विभाग की जांच कराई जाए तो चौकाने वाले घोटाले सामने आएंगे। जिसमे से एक विभाग जनपद पंचायत कार्यालय है, जिसके अधीन पंचायतों में सरकार की योजनाएं पहुँचते- पहुँचते धराशायी हो जाती है। सरकार ने भ्रष्ट्राचार रोकने डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की शुरुआत की, ताकि सरकारी योजनाओं के पैसे सीधे लाभार्थी के बैंक अकाउंट में जाए, साथ ही कार्यों में पारदर्शिता लाने ऑनलाइन डिजिटल भी किया गया है। लेकिन भ्रष्ट्रासुरों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। ऐसा ही मामला पोड़ी उपरोड़ा जनपद अंतर्गत अपात्र को प्रधानमंत्री आवास योजना का पात्र बताकर बिना निर्माण पूरी राशि बंदरबांट कर लेने का सामने आया। खबर के माध्यम से जिसका पर्दाफाश करने के बाद आनन- फानन में आवास का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया है। ग्रामीणों ने रोजगार सहायक पर भ्रष्ट्राचार का आरोप लगाया है।

दरअसल पोड़ी उपरोड़ा जनपद के ग्राम पंचायत सिंघिया में कार्यरत रोजगार सहायक मदन आंडिल और ब्लाक समन्वयक अधिकारी धर्मेंद्र कंवर के सांठगांठ से इस पंचायत के कर्रा निवासी एक अपात्र को पात्र बताकर स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास में फर्जी जियोटैग कर पूरी राशि बंदरबांट कर लिया गया। ग्राम कर्रा निवासी संपतदास पिता स्व. इतवार दास जिसका वर्षों पूर्व निर्मित खुद का पक्का मकान है, को इस योजना का पात्र बताते हुए वर्ष 2024- 25 में जिम्मेदारों ने पीएम आवास स्वीकृत करा दिया और गत 17 सितंबर 2024 को पहली किश्त की राशि 40 हजार रुपए उसके खाते से आहरण करने के बाद दूसरे लाभार्थी के निर्माणाधीन आवास का फोटो खींचकर फर्जी जियोटैग के सहारे 18 दिसंबर 2024 को दूसरी किश्त 60 हजार एवं 23 मार्च 2025 की तिथि में तीसरे किश्त के तौर पर 20 हजार की राशि निकाल ली गई तथा धरातल पर बिना आवास निर्माण के 1.20 लाख की राशि मिल बांटकर हजम कर लिया गया। जबकि कागजों में आवास की स्थिति पूर्ण बता दी गई। यह मामला सार्वजनिक होने की स्थिति में जिम्मेदार वर्ग लीपापोती में जुट गए, जिसे लेकर बीते सोमवार 28 अप्रैल को *”प्रधानमंत्री आवास योजना में फर्जीवाड़ा: फर्जी जियो टैकिंग का सहारा लेकर बिना आवास निर्माण निकाल ली पूरी राशि, जवाबदार लीपापोती में जुटे तो प्रशासन बेखबर”* शीर्षक के साथ प्रमुखता से खबर प्रसारित कर भ्रष्ट्राचार का पर्दाफाश किया गया। जिस खबर से हड़बड़ाए रोजगार सहायक ने आनन- फानन में अपात्र के पीएम आवास का निर्माण कार्य प्रारंभ करा दिया है। रोजगार सहायक मदन आंडिल के कार्यप्रणाली को लेकर सिंघिया पंचायत के ग्रामीणों का आरोप है कि उनके ग्राम का रोजगार सहायक निजी स्वार्थ सिद्धि की मानसिकता रखते हुए कार्य करते आ रहा है और सरकार की ओर से गरीब, जरूरतमंदों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ अपात्रों को पहुँचाया जा रहा है। मनरेगा के तहत कार्यों में भारी अनियमितता की गई है तो पीएम आवास में भी अपात्रों को लाभ दिलाया गया, वहीं आवास किश्त की राशि रिलीज कराने लाभार्थियों से जनपद अधिकारियों को देने के नाम पर 500 से 2000 रुपये तक की रकम ली गई है एवं मांगी रकम नही देने पर पीएम आवास की किश्त आने में देरी होने की बात बताई गई। ग्रामीणों ने इसकी जांच व उचित कार्रवाई की मांग की है। मामले में प्रतिक्रिया जानने ब्लाक समन्वयक अधिकारी धर्मेंद्र कंवर से फोन पर संपर्क साधने का प्रयास किया गया, किन्तु उनसे संपर्क नही होने से प्रतिक्रिया नही मिल पाई। फिलहाल प्रशासन को ऐसे भ्रष्ट्राचार मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेने की आवश्यकता है, नही तो भ्रष्ट्राचार में लिप्त लोगों को बल मिलेगा तथा सरकार की इस योजना का बंटाधार होते देर नही लगेगी।

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